राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के शुभारंभ पर पहुंचे मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने कहा छत्तीसगढ़ माता कौशल्या और शबरी माता का प्रदेश है इस नाते से राम हमारे भांचा है

रायगढ़/छत्तीसगढ़ – रायगढ़ के रामलीला मैदान में 1 जून से 3 जून तक राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।इस विराट महोत्सव का शुभारंभ के अवसर पर मुख्यमंत्री भुपेश बघेल पहुंचे,राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का विधिवत पूजन अर्चना कर शुभारंभ किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए बघेल ने कहासब्बो झन ला राम राम अउ जय सियाराम। महोत्सव में प्रतिभागी और श्रोता तथा मेहमानों, आयोजन से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों का स्वागत है।मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने महोत्सव का नाम भले ही राष्ट्रीय रामायण महोत्सव दिया है लेकिन यहां विदेशों के दल भी हैं।रायगढ़ संस्कारधानी है। यहां शैलचित्र भी मिले हैं। यह मानव संस्कृति के इतिहास को अपने भीतर बसाए हुए है।


हमारा छत्तीसगढ़ माता कौशल्या और शबरी माता का प्रदेश है। यहां सदियों से निवास कर रहे आदिवासियों, वनवासियों का प्रदेश है।यह कौशल्या माता का प्रदेश है। कहाँ भगवान राम का राजतिलक होना था लेकिन वे वनवास गए।निषादराज से मिले, शबरी से मिले। ऋषि मुनियों से मिले।

कितनी कठिनाई झेली पर अपनी मर्यादा नहीं खोई। उन्होंने वनवास का 10 साल यहां गुजारा।छत्तीसगढ़ में उन्होंने इतने बरस गुजारे, फिर भी हमारा रिश्ता वनवासी राम के साथ ही कौशल्या के राम से भी है इसलिए वे हमारे भांजे है इसलिए हम भांजों का पैर छूते हैं।छत्तीसगढ़ का कुछ न कुछ अंश भगवान राम के चरित्र में देखने को मिलता है।हमारा रिश्ता राम से केवल वनवासी राम का नहीं है। बल्कि हमारा रिश्ता शबरी के राम, कौशल्या के राम के रूप में भी है।

उन्होंने कहा कि तीन साल से हम लोग राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं।उनकी संस्कृति के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। उनके घोटुल, देवगुड़ी को संरक्षित कर रहे हैं।
राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन पहली बार शासकीय रूप से किया जा रहा है। जैसा कि राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव किया गया है।भगवान राम साकार भी है और निराकार भी। राम को मानने वाले उन्हें दोनों स्वरूप में मानने वाले हैं।हमारा प्रयास हमारी संस्कृति, हमारे खानपान, हमारे तीज-त्यौहारों को आगे बढ़ाने का है।मैंने देखा कि रामनामी सम्प्रदाय के भाईयों ने मार्चपास्ट किया।
जो कबीर का रास्ता है। रामनामी का रास्ता है। वो निराकार का रास्ता है। सबके अपने-अपने राम हैं।अपनी संस्कृति को संरक्षित करने का काम हम लोग कर रहे हैं।हमारे गांव-गांव में भी रामकथा के दल बने हैं।राम सबके हैं। निषादराज के हैं शबरी के हैं। सब उनमें आत्मीयता महसूस करते हैं।दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर हमने तीर्थ स्थलों के लिए 2 एकड़ जमीन मांगी है, ताकि हमारे भक्त वहां जाएं तो उन्हें सुविधा मिले।

इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री श्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, खेल एवं उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री श्री उमेश पटेल,गौ सेवा आयोगअध्यक्ष महंत श्याम सुंदरदास,पूर्व सांसद श्री नंदकुमार साय, रायगढ़ विधायक श्री प्रकाश नायक, सक्ती विधायक श्री राम कुमार यादव, रायगढ़ नगर निगम महापौर श्रीमती जानकी काटजू सहित जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी एवम आमजन उपस्थित थे।

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