छत्तीसगढ़: कोरबा में विभाग की खुली पोल,नैनिहालो का जान जोखिम में, जर्जर स्कूल में हो रही पढ़ाई…जिम्मेदार कौन?

छत्तीसगढ़: नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन जर्जर भवन में पढ़ने वाले नैनिहालो की जान खतरे में है। ऐसा नहीं है कि विभागीय अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन अधिकारी किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं।

कोरबा जिला मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर दूर कल्दामार में एक प्राथमिक शाला है। इस भवन की हालत बेहद खराब है। स्कूल भवन जर्जर हो चुका है और बारिश में छत से पानी टपकता है। छत और दीवारों से प्लास्टर उखड़ने लगा है। दीवारों पर दरारें पड़ गई हैं। छत को प्लास्टिक से ढका गया है। फिर भी जर्जर भवन को देखकर हमेशा हादसे का डर बना रहता है। लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता और लापरवाही का नतीजा यह है कि छत के नीचे नैनिहालो को बैठाकर पढ़ाई कराई जा रही है। उनके साथ-साथ यहां के शिक्षक भी जान जोखिम में डालकर पढ़ा रहे हैं।

दावे यह भी…

स्कूलों के जीर्णोद्धार और मरम्मत को लेकर विभागीय अधिकारियों के बीच कई दौर की बैठकें होती हैं। बैठक के दौरान संबंधित स्कूल के प्रभारी बच्चों और ग्रामीणों की मांगों से उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हैं। बच्चों को पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराने के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन अभी तक बच्चों की कक्षाएं जर्जर स्कूल में ही लग रही हैं।

ग्रामीणों ने कहा है कि जर्जर भवन की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह भवन पूरी तरह से खंडर हो चुका है। जो कि किसी  के लिए भी सुरक्षित नहीं है उसके बाद भी यहां हमारे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। जिससे कभी भी कोई भी अप्रिय घटना घटित हो सकती है लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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