छत्तीसगढ़: उच्च न्यायालय ने निकायों के वार्ड परिसीमन पर रोक लगाई

Chhattisgarh: High Court stays ward delimitation of bodies

छत्तीसगढ़ : बिलासपुर हाईकोर्ट ने वार्ड परिसीमन पर रोक लगा दी है। कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट में सरकारी वकीलों ने जवाब में कहा कि परिसीमन मतदाता सूची के आधार पर नहीं जनगणना को ही आधार मानकर किया जा रहा है। परिसीमन से वार्डों का क्षेत्र और नक्शा बदल जाएगा। इस पर कोर्ट ने असहमति जताई।मामला राजनांदगांव नगर निगम, कुम्हारी नगर पालिका और बेमेतरा नगर पंचायत में वार्डों के परिसीमन को चुनौती दी गई थी। राज्य सरकार ने प्रदेश भर के निकायों के वार्ड परिसीमन के लिए 2011 की जनगणना को आधार माना है। वर्ष 2014 और 2019 में भी राज्य सरकार ने 2011 की जनगणना के आधार पर ही परिसीमन किया था। कोर्ट ने पूछा कि जब आधार एक ही है तो इस बार परिसीमन का काम क्यों किया जा रहा है।

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं के तर्कों से सहमत होते हुए कोर्ट ने पूछा कि वर्ष 2024 में फिर से परिसीमन क्यों किया जा रहा है। अभी इसकी क्या जरूरत है? कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर वर्ष 2014 और 2019 में वार्डों का परिसीमन किया गया था। जनगणना के आंकड़े नहीं आए हैं, वर्ष 2011 के बाद कोई जनगणना नहीं हुई है। फिर उसी जनगणना के आधार पर तीसरी बार परिसीमन करने की जरूरत क्यों है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ महाधिवक्ता और पूर्व एजी सतीशचंद्र वर्मा,अमृतो दास, राज्य की ओर से उपमहाधिवक्ता प्रवीण दास और विनय पांडेय व नगर पालिका कुम्हारी की तरफ से पूर्व उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने पैरवी की।

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