कोणार्क में बने रथों के पहियों में संस्कृति और साइंस भी समाई …

Culture and science are also included in the wheels of chariots made in Konark.

कोणार्क का सूर्य मंदिर (The Sun Temple of Konark) अपनी कलाकृतियों के लिए जाना जाता है। असल में यह मंदिर सूर्य के विशालकाय रथ की तरह बनाया गया है, जिसे सात घोड़े (seven horses) खींचते हैं। इस रथ में 12 जोड़े पहिए (12 pairs) लगे हैं। यानी कुल मिलाकर 24 पहिए। हर पहिए पर शानदार नक्काशी है, लेकिन ये पहिए हमारी जीवनचर्या से संबंधित कई वैज्ञानिक बातें बताते हैं। पहिए बताते हैं कि कैसे पूरी दुनियाwhole world सूर्य की ऊर्जा (energy of the Sun)से चलती है। यहां मौजूद हर पहिए का व्यास यानी डायमीटर 9.9 फीट है। हर पहिए में आठ मोटी और आठ पतली तीलियां हैं। ये पहिए कोणार्क के सूर्य मंदिर जाने वाले लोगों के लिए हमेशा आकर्षण का केन्द्र (the center of attraction for the people) रहे हैं।

राजा नरसिम्हादेव ने बनवाया था

सात घोड़े यानी हफ्ते के सात दिन। 12 पहिए यानी साल के बारह महीने। जबकि इनका जोड़ा यानी 24 पहिए मतलब दिन के 24 घंटे इसके अलावा 8 मोटी तीलियां 8 प्रहर यानी हर तीन घंटे के समय को दर्शाती हैं। इन पहियों से यह भी पता चलता है कि सूर्य कब उगेगा, कब अस्त होगा। इस पहिए को 13वीं सदी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम ने बनवाया था।

समय का प्रतीक 8 मोटी और 8 पतली तीलियां

हर पहिए में 8 मोटी और 8 पतली तीलियां हैं। हर तीली के बीच में 30 दानें बनाए गए हैं। हर दाना तीन मिनट का समय बताता है, जो तीन घंटे का समय बताते हैं। यानी 180 मिनट। हर मोटी तीलियों के बीच में मौजूद पतली तीली डेढ़ घंटे का समय बताती हैं। यानी 90 मिनट, बीचोबीच ऊपर की तरफ जो मोटी तीली है, वह रात के 12 बजे का समय बताती है।

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