विदेशमंत्री डाॅ.एस.जयशंकर पांच दिवसीय Russia की यात्रा पर आज होंगे रवाना

Foreign Minister Dr. S. Jaishankar will leave today on a five-day visit to Russia.

नई दिल्ली :विदेश मंत्री डाॅ. एस. जयशंकर आज सोमवार यानी 25 दिसंबर से 29 दिसंबर तक रूस की यात्रा के लिए रवाना होंगे। इस दौरान वे रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और उपप्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव से मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक बैठक के दौरान, विदेश मंत्री जयशंकर और रूसी उपप्रधानमंत्री और उद्योग मंत्री डेनिस मंटुरोव आर्थिक मुद्दों से संबंधित मामलों पर चर्चा करेंगे,तो वहीं विदेश मंत्री एच.ई.सर्गेई लावरोव से द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

पीपुल टू पीपुल काॅन्टैक्ट पर बल 

विदेश मंत्री एस.जयशंकर की रूस की यात्रा के दौरान मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में कार्यक्रम शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय मुताबिक भारत और रूस के बीच बेहतर संबंध बने हुए हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के बीच लोगों के बीच और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से विदेश मंत्री मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में कार्यक्रम शामिल होंगे।

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भारत-रूस संबंध अच्छे और बहुत स्थिर 

विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत-रूस साझेदारी लम्बे समय से स्थिर और लचीली बनी हुई है, दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रणनीतिक साझेदारी की भावना अभी भी बरकरार है।  इससे पहले सितंबर में, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-रूस हडसन विश्वविद्यालय में भारत के साथ रूस के संबंधों की तुलना अन्य देशों के साथ करते हुए कहा कि,पिछले 70 वर्षों में अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर विचार करते हैं, तो अमेरिका-रूस संबंध, चीन-रूस संबंध, अमेरिका-चीन संबंधों के काफी उतार-चढ़ाव आयें हैं। जबकि ”भारत-रूस संबंध अच्छे और बहुत स्थिर रहे हैं।” 

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एशिया आर्थिक रूप से सबसे अधिक सक्रिय 

विदेश मंत्री ने कहा कि युक्रेन और रूस के बीच बढ़े तनाव के परिणामस्वरूप कई मायनों में रूस का पश्चिम के साथ संबंध उतने अच्छे नहीं हैं, ऐसे में रूस गैर-पश्चिमी दुनिया पर ध्यान केंद्रित करेगा। विदेश मंत्री ने कहा रूस का  ध्यान एशिया पर अधिक होगा,और संभवतः अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान देगा। उन्होंने कहा एशिया आर्थिक रूप से सबसे अधिक सक्रिय है। एक सवाल के जबाब में रूस का भारत पर इतना जोर क्यों है विदेश मंत्री ने कहा आज दुनिया में भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है,और पूरी दुनिया एशिया प्रशांत महासागर की तरफ केंद्रित होती दिख रही है।

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