Ganesh Visarjan :पानी में ही क्यों विसर्जन किया जाता है Lord Ganesha की प्रतिमा,जानने के लिए पढ़े पूरी स्टोरी

Ganesh Visarjan: Why is the idol of Lord Ganesha immersed in water, read the full story to know.

मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार, भाद्रपद महीने के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही गणेशजी का जन्‍म हुआ था। साथ ही कथाओं में वर्णित है कि गणेश चतुर्थी के दिन से ही महाभारत की रचना के लिए गणेशजी से महर्षि वेदव्यास ने प्रार्थना की थी।

गणेश जी ने कहा कि, वो लिखना आरंभ करेंगे तो कलम नहीं रोकेंगे और अगर कलम रुक गई तो वहीं लिखना बंद कर देंगे. तब महर्षि वेदव्‍यास ने कहा कि भगवान आप विद्वानों में सबसे आगे हैं और मैं साधारण ऋषि, यदि मुझसे श्‍लोकों में कोई गलती हो जाए तो आप उसे ठीक करते हुए लिपिबद्ध करते जाएं. इस तरह महाभारत लेखन शुरू हुआ और लगातार 10 दिन तक चला।

महाभारत लेखन का काम जब अनंत चतुर्दशी के दिन पूरा हुआ तो गणेश जी का शरीर में धूल-मिट्टी से लतपत हो चुका था, तब सरस्‍वती नदी में स्‍नान करके गणेश जी ने अपना शरीर साफ किया. इसलिए गणपति स्‍थापना 10 दिन के लिए की जाती है और फिर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.

गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त


गणपति विसर्जन का पहला मुहूर्त- 28 सितंबर को सुबह 06.11 मिनट से 07.40 मिनट तक
गणपति विसर्जन का दूसरा मुहूर्त- सुबह 10. 42 मिनट से दोपहर 03.10 मिनट तक
गणपति विसर्जन का तीसरा मुहूर्त- शाम 04. 41 मिनट से रात 09. 10 मिनट तक

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