सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का दरकिनार…मांड नदी में रेत का पहाड़…राजनीतिक दल के नेता कर रहे खेला

हाइलाइट्स

  • शासन द्वारा निर्मित रेतनीति का खुला उल्लंघन
  • जेसीबी व पोकलेन से रेत उत्खनन
  • रेत माफिया खुलेआम कर रहे गोरखधंधा

कोरबा/छत्तीसगढ़ : जिले की सभी रेत खदाने बन्द है तो फिर धड़ल्ले से मांड नदी का सीना चीर कर रेत निकाला जा रहा हैं। इस नदी से बेहिसाब अवैध रेत का उत्खनन हो रहा है। यू कहे तो रेत माफिया रेतनीति के नियमों को रौंदते हुए अवैध उत्खनन कर रहे हैं। शासन द्वारा निर्मित रेतनीति का खुला उल्लंघन करते हुए आखिर किस अधिकारी के संरक्षण में जेसीबी व पोकलेन चलवाई जा रही है।सरकार को लाखों का चूना लगाई रही है।
इस अवैध खनन की जानकारी जिला प्रशासन को है। बावजूद इसके इसपर अभी तक कोई अंकुश नहीं लगाया गया है।

वही जानकारी मिली है कि उक्त अवैध रेत उत्खनन में राजनीतिक दल के नेताओं को हाथ बताया जा रहा है,यह बात आसपास के लोग कह रहे है लेकिन खुलकर लोग सामने नही बोल पा रहे हैं।

10 जून से रेत उत्खनन बन्द,फिर भी जारी

जिले क रेत खदानों को जिला प्रशासन के आदेशानुसार 10 जून से बंद कर दिया गया है  आदेश में साफ उल्लेखनीय है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा जारी “सतत रेत खनन प्रबंधन दिशा-निर्देश 2016 एवं रेत खनन हेतु प्रवर्तन एवं निगरानी दिशा-निर्देश 2020” के अनुसार स्वीकृत रेत खनन पट्टा खदान से खनिज रेत का उत्खनन एवं प्रेषण वर्षा ऋतु अवधि में 10 जून से 15 अक्टूबर तक बंद रहेगा। जिसकी  निगरानी करने के अलावा अवैध खनन को रोकने की जिम्मेदारी खनिज विभाग के  अधिकारी को दी गई है।

सुप्रीम के गाइडलाइन का दरकिनार

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बाद सरकार ने मिट्टी के कटाव को रोकने और पर्यावरण की रक्षा के लिए नियमों में संशोधन किया है और रेत खदानों की संख्या कम कर दी है। इसके अलावा रेत उत्खनन के लिए पोकलिन, जेसीबी जैसे वाहनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन जिले में खनिज अमला नियमों का पालन करने को लेकर गंभीर नहीं है। इसका फायदा रेत माफिया खुलेआम उठा रहे हैं।

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