अक्षय तृतीया पर्व का महत्व , जाने पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

Importance of Akshaya Tritiya festival, know important information related to the festival

Akshaya Tritiya: अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म की पवित्र तिथियों में से एक माना जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है, इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती।हिन्दू धर्म कथा अनुसार अक्षय तृतीया के बारे में जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा था तो, भगवान कृष्ण ने उन्हें इसके महत्व को बताया था। श्रीकृष्ण जी ने युधिष्ठिर को बताया कि, अक्षय तृतीया के दिन जो भी रचनात्मक और सांसारिक कार्य किया जाएगा उसका शुभ परिणाम व्यक्ति को प्राप्त होगा। इस दिन हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग शुभ कार्य प्रारंभ करते हैं इसके साथ ही नई चीजों की खरीदारी का भी इस तिथि पर बड़ा महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खरीदारी और खास कर सोना खरीदने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती। यह दिन आपके आध्यात्मिक उत्थान के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है, अगर आप इस दिन प्रभु का ध्यान करते हैं तो आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन दान करने से भी आप जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। 

इस त्योहार का बड़ा महत्व

ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है।ये त्योहार देश के अलग-अलग जगहों पर परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है। वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई थी। राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर अवतरित करने के लिए सालों तक तप किया था। इस दिन पवित्र गंगा में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन देवी अन्नपूर्णा की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन गरीबों को खाना खिलाएं।इससे कभी भी घर में अन्न की कमी नहीं होती है। वहीं ये भी कहा जाता है कि इस दिन से महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत को लिखना शुरु किया था।

विवाह में अक्षय तृतीया का महत्व


अक्षय तृतीय का पर्व वैवाहिक संबंधों के लिए सबसे शुभ माना जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार शादियों के लिए यह सबसे अच्छा और सुखद समय माना जाता है।

क्या करें

अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समुद्र व गङ्गा स्नान करके और शान्त चित्त होकर, भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने का प्रावधान है। नैवेद्य में जौ व गेहूँ का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित किया जाता है। तत्पश्चात फल, फूल, पात्र, तथा वस्त्र आदि दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा दी जाती है।ब्राह्मण को भोजन करवाना कल्याणकारी समझा जाता है। मान्यता है कि इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए तथा नए वस्त्र और आभूषण पहनने चाहिए। गौ, भूमि, स्वर्ण पात्र इत्यादि का दान भी इस दिन किया जाता है। यह तिथि वसन्त ऋतु के अन्त और ग्रीष्म ऋतु का प्रारम्भ का दिन भी है इसलिए अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे घड़े, कुल्हड, सकोरे, पंखे, खडाऊँ, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, शक्कर, साग, इमली, सत्तू आदि घर्मी में लाभकारी वस्तुओं का दान पुण्यकारी माना गया है।

इसके अलावा, कमाई के बावजूद जिनके घर में पैसा न टिकता हो, जिनके घर में सुख शांति न हो, संतान मनोनुकूल न हो, शत्रु चारों तरफ से हावी हो रहे हों, तो ऐसे में अक्षय तृतीया का व्रत रखना और दान पुण्य करना बेहद फलदायक होता है। हां कुछ लोग कोई नई चीज जैसे आभूषण, वस्त्र, गाड़ी, जायदाद आदि चीजों को इस दिन खरीदना शुभ मानते हैं। 

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