दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को झटका देते हुए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी जमानत पर रोक लगा

नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में उन्हें जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी। न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उसके समक्ष प्रस्तुत सामग्री का “उचित मूल्यांकन” नहीं किया।

न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन की अवकाश पीठ ने कहा कि जमानत आदेश का विरोध करने वाली प्रवर्तन निदेशालय की दलीलों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

पीठ ने कहा, “अवकाश (परीक्षण) न्यायाधीश ने विवादित आदेश पारित करते समय रिकॉर्ड पर प्रस्तुत सामग्री/दस्तावेजों और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उठाए गए तर्कों तथा संहिता की धारा 439(2) के तहत याचिका में उठाए गए कथनों/आधारों का उचित मूल्यांकन नहीं किया।”

अदालत ने कहा, “तदनुसार, वर्तमान आवेदन स्वीकार किया जाता है और विवादित आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाती है।”

अवकाशकालीन न्यायाधीश नियाय बिंदु की अध्यक्षता वाली ट्रायल कोर्ट ने 20 जून को केजरीवाल को जमानत दे दी थी और एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया था। ईडी ने अगले ही दिन हाईकोर्ट का रुख किया और दलील दी कि ट्रायल कोर्ट का आदेश “विकृत”, “एकतरफा” और “गलत” था और उसे मामले में बहस करने का पर्याप्त अवसर दिए बिना पारित किया गया था।

जमानत आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग करने वाली ईडी की अर्जी पर 34 पृष्ठ के आदेश में न्यायमूर्ति जैन ने कहा कि प्रत्येक न्यायालय का दायित्व है कि वह पक्षकारों को अपना-अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त अवसर दे तथा इस मामले में भी ईडी को केजरीवाल की जमानत अर्जी पर दलीलें पेश करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए था। न्यायमूर्ति जैन ने कहा कि ट्रायल जज ने न केवल धन शोधन निरोधक एजेंसी द्वारा लिखित प्रस्तुतियों सहित दी गई दलीलों पर चर्चा नहीं की तथा उन पर विचार नहीं किया, बल्कि जमानत देते समय धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 के तहत “दोहरी शर्त” की आवश्यकता के संबंध में भी चर्चा नहीं की तथा अपना दृष्टिकोण दर्ज नहीं किया। पीएमएलए की धारा 45 के तहत, किसी अभियुक्त को “दोहरी शर्तों” के अधीन जमानत दी जा सकती है कि न्यायालय प्रथम दृष्टया संतुष्ट हो कि वह ऐसे अपराध का दोषी नहीं है तथा अभियोक्ता को जमानत के लिए अर्जी का विरोध करने का अवसर दिया गया है। अदालत ने कहा कि आम आदमी पार्टी (एएएम) के प्रमुख के रूप में केजरीवाल की दायित्व संबंधी मुद्दे को भी जमानत आदेश में कोई स्थान नहीं मिला।

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