INDIA: अंग्रेजों के जमाने के कानून होंगे खत्म, गृहमंत्री ने पेश किए 3 बिल, नाबालिग से दुष्कर्म और मॉब लिंचिंग मामलों में होगी सजा-ए-मौत

नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीन कानूनों समाप्त कर इनकी जगह नए कानून लाने के लिए विधेयक पेश किया। इस दौरान उन्होंने यह भी दावा किया कि अंग्रेजों के शासन के दौरान बनाए गए इन तीनों के हटने के बाद आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी। ये तीनों कानून भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत हैं, जिनमें बदलाव किया जा रहा है।
गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए तीन नए विधेयक पेश किये। इनकी जगह पर भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 लाया गया है। 1860 में बनी भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) को भारतीय न्याय संहिता द्वारा बदला जायेगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता अब दंड प्रक्रिया संहिता(सीआरपीसी) की जगह लेगी और भारतीय साक्ष्य विधेयक अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम(इंडियन एवीडेंस एक्ट) की जगह लेगी।

तीन बिल सदन में पेश किए…

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (IPC-1860 में बदलाव के लिए)

भारतीय नागरिक संहिता, 2023 (CrPC 1898 में बदलाव के लिए)

भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 (इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 में बदलाव के लिए)

मॉब लिंचिंग के लिए मौत की सजा

नए विधेयक में मॉब लिंचिंग को हत्या की परिभाषा में जोड़ा गया है। जब 5 या 5 से अधिक लोगों का एक समूह एक साथ मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के हर सदस्य को मौत या कारावास से दंडित किया जाएगा। इसमें न्यूनतम सजा 7 साल और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जाएगा

नाबालिग से दुष्कर्म पर मौत की सजा

नए बिल में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों में सजा को प्राथमिकता दी गई है। अमित शाह ने बताया कि नए कानूनों में हमने महिलाओं के प्रति अपराध और सामाजिक समस्याओं के निपटान के लिए ढेर सारे प्रावधान किए हैं। गैंग रेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है, 18 साल से कम आयु की बच्चियों के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान भी किया गया है।

हेट स्पीच पर 5 साल की सजा

नए कानूनों में हेट स्पीच और धार्मिक भड़काऊ स्पीच को भी अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। अगर कोई व्यक्ति हेट स्पीच देता है, तो ऐसे मामले में तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा कोई धार्मिक आयोजन कर किसी वर्ग, श्रेणी या अन्य धर्म के खिलाफ भड़काऊ स्पीच दी जाती है, तो 5 साल की सजा का प्रावधान होगा।

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