ओडिशा: सात वर्षों में हाथियों की आबादी 122 बढ़कर 2,098 हुई

भुवनेश्वर: ओडिशा में हाथियों की आबादी बढ़कर 2,098 हो गई है, जो पिछले सात वर्षों में 122 की वृद्धि है।2017 में आयोजित पिछली जनगणना के दौरान गिनती 1,976 थी।

ओडिशा वन और पर्यावरण विभाग ने बुधवार को यहां अखिल ओडिशा हाथी जनगणना-2024 की रिपोर्ट जारी की।

अंगुल, अठगढ़, ढेंकनाल, बारीपदा, चंदका, खुर्दा, बोनाई और क्योंझर जैसे कुछ प्रभागों में हाथियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जबकि सिमिलिपाल उत्तर, सिमिलिपाल दक्षिण, बालासोर, रायरंगपुर, बोलनगीर और परलाखेमुंडी वन प्रभागों में कमी आई है।प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्यजीव, सुशांत नाडा ने कहा।उन्होंने कहा कि अंगुल, राउरकेला और बारीपदा सर्कल में हाथियों के आंदोलन पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है।

पिछले सात वर्षों में हाथियों की आबादी में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पीसीसीएफ ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप वयस्क नर और मादाओं का अनुपात स्वस्थ रहा है और पूरी आबादी में युवा हाथियों की संख्या भी अच्छी खासी रही है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान जंगली हाथियों की मृत्यु कुल आबादी के 3 से 4.5 प्रतिशत के बीच रही है, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान सबसे कम है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्यजीव सुशांत नाडा ने बताया कि 22 से 24 मई तक आयोजित जनगणना के दौरान 28 जिलों के 48 वन प्रभागों में कुल 2,098 हाथियों की गिनती की गई, जिनमें 313 वयस्क हाथी, 13 वयस्क ‘मखना’ (बिना दांत वाले नर हाथी), 748 वयस्क मादा हाथी, 148 उप-वयस्क नर हाथी, 282 उप-वयस्क मादा हाथी, 209 किशोर हाथी और 385 शावक शामिल हैं। उन्होंने बताया कि 13 प्रभागों में कोई हाथी नहीं था। तीन दिवसीय जनगणना अभ्यास में प्रत्यक्ष दृष्टि से गणना की पारंपरिक पद्धति का पालन किया गया है। राज्य भर में 1,905 जनगणना इकाइयों में कुल 1,214 ‘मचान’ बनाए गए थे। जनगणना अभ्यास में 5,700 से अधिक लोग लगे हुए थे। इसके अलावा वन्यजीव प्रेमियों, गैर सरकारी संगठनों, शोधार्थियों और शिक्षाविदों ने भी जनगणना में भाग लिया है।पीटीआई

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