तस्वीर : दफ्तर के दरवाजे पर खड़ा ग्रामीण,झांक रहा,डर या साहबों का खौफ़?

Picture: Villager standing at the door of the office, peeping, fear or fear of the sir?

कोरबा/ छत्तीसगढ़ : सरकार द्वारा आम लोगों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं.. सरकारी योजनाओं का लाभ आम लोगों तक पहुंचे इसके लिए सरकार ने विभाग वार ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने अधिकारियों को बैठाया है कार्यालय सभी जिलों और ब्लॉकों में मौजूद हैं, ये सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुले रहते हैं लेकिन आज भी आम आदमी इन दफ्तरों में जाने से कतराता है..चाहे वह गांव का आदमी हो या गरीब आदमी..वह दफ्तर में घुसने से पहले यही सोचता है कि अंदर जाकर क्या किया जाए। साहब मिलेंगे या नही,दफ्तर से भगा देगा तो,या कड़क साहब हो… दूर-दराज से आने वाले लोग सरकारी दफ्तर में छोटे-मोटे काम के लिए आते हैं, लेकिन दफ्तर के दरवाजे से घुसने से पहले कई बार सोचते हैं कि कहीं साहब नाराज न हो जाएं। आखिर लोगों की ये झिझक दूर क्यों नहीं हो रही है? यह एक बड़ा सवाल है?

प्रशासन और आम लोगों के बीच ये दूरी कम क्यों नहीं हो रही? जनता से मैत्रीपूर्ण संबंध बनाकर काम करने की बात तो होती है, लेकिन जमीन पर यह दिख नहीं रहा है। ऐसी ही एक तस्वीर कोरबा कलेक्टर भवन में देखने को मिली जब एक आम आदमी किसी काम से नाजिर विभाग के कार्यालय में आया था लेकिन वह कार्यालय के अंदर नहीं जा पा रहा था, वह घंटों तक दरवाजे के अंदर झांकता रहा, शायद वह सोच रहा था उसके मन में आया कि कोई उससे भी पूछे. क्या तुम्हें कुछ काम है, अन्दर आओ… लेकिन ऐसा नहीं हो सका!

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