Home Chhattisgarh गर्मियों में कोरबा के जंगल बच्चों के लिए बना प्राकृतिक प्रयोगशाला

गर्मियों में कोरबा के जंगल बच्चों के लिए बना प्राकृतिक प्रयोगशाला

by KBC World News
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In summer, Korba’s forest becomes a natural laboratory for children

कोरबा/छत्तीसगढ़ :  गर्मी के दिनों में परीक्षा खत्म होते ही लोग अपने घरों के लिए निकल जाते हैं, लेकिन कोरबा के जंगलों में एक ऐसा प्रयोग चल रहा है जिसमें अलग-अलग कॉलेजों के छात्र-छात्राएं किताबों में पढ़े ज्ञान का जंगलों में उपयोग करना सीख रहे हैं। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में किंग कोबरा प्रोजेक्ट चल रहा है, जिसमें वन विभाग के मार्गदर्शन में नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी का अध्ययन दल जंगलों के अलग-अलग हिस्सों में इस दुर्लभ जीव किंग कोबरा और उसके आवास का अध्ययन कर रहा है।

ऐसे में कोरबा वन मंडल और नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी ने एक प्राकृतिक प्रयोगशाला की तर्ज पर कॉलेज के छात्रों को इस प्रोजेक्ट दल के साथ जंगलों में विभिन्न प्रशासनिक विषयों को सीखने का मौका दिया। पिछले कुछ महीनों में राज्य के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत जूलॉजी, बॉटनी, मैनेजमेंट आदि के छात्र-छात्राओं ने आकर किंग कोबरा दल के साथ जंगलों में कई विषयों को सीखा। जिसमें जीवों की पारिस्थितिकी, वन्य जीव संरक्षण और उसमें विज्ञान का महत्व, पेड़-पौधों की पहचान, वन्य जीवों और उनके आवास के बीच संबंध आदि शामिल हैं।

इस सजीव प्रयोगशाला में वन विभाग के कर्मचारियों ने बच्चों को जमीनी स्तर पर वनों और वानिकी के बारे में जागरूक किया, जिसे बच्चे अपने पाठ्यक्रम में पढ़ते हैं। नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के विशेषज्ञों ने बच्चों को वन्यजीवों की पहचान, किंग कोबरा के साथ-साथ अन्य जानवरों के संरक्षण के बारे में सिखाया। इस परियोजना के दौरान बच्चे स्थानीय समुदायों से मिल रहे हैं, उनकी जीवनशैली को समझ रहे हैं और उनके दैनिक जीवन पर वनों के प्रभाव को समझ रहे हैं।

गर्मी के मौसम में बच्चे इस प्रयोगशाला भा रही है औरआनंद ले रहे हैं, उन्हें कई दुर्लभ जीवों को देखने का मौका मिल रहा है। बच्चों ने बताया कि किंग कोबरा प्रोजेक्ट उन्हें मोबाइल और लैपटॉप से दूर प्रकृति की गोद में कुछ समय बिताने का मौका दे रहा है।

इसी तर्ज पर 22 मई को विश्व जैव विविधता दिवस के अवसर पर कोरबा वन मंडल द्वारा लेमरू हाथी रिजर्व में एक दिवसीय जैव विविधता वॉक का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मुख्य आकर्षण रिवर वॉक, ट्रैकिंग, पक्षी दर्शन, औषधीय पौधों की पहचान आदि होंगे।

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