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कर्नाटक चुनाव : कांग्रेस को शुरुआती रुझानों में बढ़त,कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर

by KBC World News
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कर्नाटक चुनाव : कांग्रेस को शुरुआती रुझानों में बढ़त,कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर

कर्नाटक : विधानसभा चुनावों के तहत वोटों की गिनती जारी है कांग्रेस को शुरुआती रुझानों में बढ़त मिलती दिख रही है. वहीं बीजेपी और जेडीएस कांग्रेस से पीछे चल रही हैं। बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव की 224 सीटों पर 10 मई को मतदान हुआ था। हालांकि इस बार के चुनाव में 73.19 फीसदी मतदान हुआ था,इस बार कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर है।
वही 2023 का चुनाव सभी पार्टियों के लिए अनुमान से अधिक रोमांचक रहा। डबल इंजन, महंगाई, कॉमन सिविल कोड से लेकर जय बजरंगबली तक कई वायदे और नारे उछाले गए।
अब देखना होगा कि ये मुद्दे कितनी कारगार साबित होगी।

सरकार बनाने के लिए 113 का जदुई आंकड़ा

कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए 113 के जादुई आंकड़े की जरूरत है। ऐसे में हम राज्य के प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। जिनमें वरुणा, कनकपुरा, शिगगांव, हुबली-दरवाड़, चन्नापटना, शिकारीपुरा, चित्तपुर, रामनगर और चिकमंगलूर शामिल हैं।

जनता दल 3 दशक बाद भी नही हुई रिपीट

राज्य में 38 साल से सत्ता रिपीट नहीं हुई है। आखिरी बार 1985 में रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व वाली जनता पार्टी ने सत्ता में रहते हुए चुनाव जीता था। वहीं, पिछले पांच चुनाव (1999, 2004, 2008, 2013 और 2018) में से सिर्फ दो बार (1999, 2013) सिंगल पार्टी को बहुमत मिला। भाजपा 2004, 2008, 2018 में सबसे बड़ी पार्टी बनी। उसने बाहरी सपोर्ट से सरकार बनाई।

पिछली बार क्या हुआ था?

पिछली बार यानी 2018 में 12 मई को कर्नाटक में मतदान हुए थे। 15 मई को नतीजे घोषित हुए थे। किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं हासिल हुआ था। तब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। भाजपा के 104 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के 80 और जेडीएस के 37 उम्मीदवार चुनाव जीते थे।

भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाए। इसके चलते छह दिन बाद ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार का गठन किया। जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बन गए।

क्या 38 साल का ट्रेंड तोड़ पाएगी भाजपा ?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहारे सत्तारूढ़ भाजपा 38 साल पुराने चुनावी भ्रम को तोड़ने की कोशिश कर रही है, जहां लोगों ने सत्ता में आने वाली पार्टी को कभी भी वोट नहीं दिया है, जबकि कांग्रेस मनोबल बढ़ाने वाली जीत की उम्मीद कर रही है।

साथ ही यह देखना भी दिलचस्प होगा कि त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जेडीएस किंगमेकर या किंग के रूप में उभरेगी या नहीं।

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