सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी घोटाले में गिरफ्तारी के बाद सीएम केजरीवाल को हटाने की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि कार्रवाई करना दिल्ली के एलजी का विवेकाधिकार है, लेकिन वे इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे। कोर्ट के मुताबिक, केजरीवाल को हटाना औचित्य का मामला है, लेकिन इसका कोई कानूनी आधार नहीं है। यह फैसला दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा पहले भी इसी तरह की याचिका खारिज किए जाने के बाद आया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका खारिज कर दी, जिसमें आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की गई थी।
जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, “यह दिल्ली के उपराज्यपाल पर निर्भर है कि वे कार्रवाई करें या नहीं, लेकिन हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे।”कोर्ट ने कहा कि यह औचित्य का मामला है, लेकिन केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, “जब मामले की सुनवाई हो रही थी, तो हमने उनसे यही सवाल किया था। आखिरकार, यह औचित्य का मामला है और इसमें कोई कानूनी अधिकार नहीं है।”शीर्ष अदालत याचिकाकर्ता कांत भाटी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के 10 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।