वैश्विक तापमान में निरंतर वृद्धि पर्यावरण के प्रति मानवता की उपेक्षा का एक स्पष्ट चित्रण प्रस्तुत करती है, जो ग्रह के भविष्य के लिए एक गंभीर चेतावनी है। दुनिया में तापमान दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है, जिसका कारण लोगों की अज्ञानता और लापरवाही है। बढ़ते तापमान की समस्या पूरी दुनिया में देखी जा रही है। दुनिया की जलवायु दिन-प्रतिदिन बदल रही है। बढ़ता तापमान सजीव जगत के लिए खतरे की घंटी है। अगर हम जागरूक नहीं हुए तो हम भविष्य की समस्याओं से नहीं निपट पाएंगे। सभी जीवों को जीवित रहने के लिए पानी, हवा और गर्मी की आवश्यकता होती है। पानी और हवा की गुणवत्ता और मात्रा में होने वाले परिवर्तन अनगिनत समस्याओं को जन्म देंगे। जब वातावरण या जलवायु में परिवर्तन होता है तो सजीव जगत में भी परिवर्तन देखने को मिलते हैं, जैसा कि हम अभी देख रहे हैं। रेगिस्तान का बायोम आइसलैंड के बायोम से अलग है। ऑस्ट्रेलिया में हम इसके राष्ट्रीय पशु कंगारू को देख सकते हैं, आइसलैंड में हम ध्रुवीय भालू और पेंगुइन को देख सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण फल, सब्जियां, फूल और जंगल भी अलग-अलग होते हैं। जब धरती का तापमान बढ़ रहा है तो यह सभी के लिए बहुत बड़ा खतरा है। हम नहीं जानते कि कल हमें वही फल और सब्जियाँ मिलेंगी जो हमें आज मिलती हैं। आज हमारे आस-पास जो जानवर, पक्षी या कीड़े-मकोड़े दिखाई देते हैं, वे विलुप्त हो जाएँगे या बच जाएँगे, यह हम नहीं जानते। हमें जीवों के बारे में कोई जानकारी नहीं है, हर साल उनकी कितनी प्रजातियाँ विलुप्त हो जाती हैं, यह तो पता नहीं, लेकिन वे हमारे जीवन को समृद्ध करते हैं। उनके लुप्त होने से हमारे जीवन पर कितना असर पड़ा है, इसका हम हिसाब नहीं लगाते। अगर हमारा बाहरी हिस्सा प्रभावित होता है तो हमारा आंतरिक हिस्सा भी प्रभावित होता है।
यह विचारणीय है। हम अपने लालच के कारण अपने पर्यावरण को नष्ट कर रहे हैं। आज मनुष्य में अमानवीयता देखने को मिल रही है। वैश्विक तापमान में वृद्धि के पीछे दो कारण हैं, एक मानव निर्मित और दूसरा प्राकृतिक। मानव निर्मित कारण हैं वनों की कटाई, पेड़ों की कटाई, वाहनों का उपयोग और जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग। प्राकृतिक कारण हैं भूकंप, तूफान, जंगल की आग, गैस दुर्घटनाएँ, कोयला जलाना आदि। ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण ग्रीनहाउस प्रभाव है। ग्रीनहाउस पेड़ों को रखने के लिए एक कांच का घर है, जो गर्मी को कांच के घर से बाहर नहीं जाने देता है।
इसका उपयोग पेड़ों को बचाने के लिए किया जाता है। ग्रीनहाउस प्रभाव कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैस की वृद्धि में देखा जाता है। जब तापमान एक डिग्री बढ़ता है, तो यह हमारे पर्यावरण को बहुत प्रभावित करता है। पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव और उत्तरी ध्रुव में जमा बर्फ पिघलने लगी है। भारत के हिमालय में ग्लेशियर भी पिघलने लगे हैं और इन ग्लेशियरों का पानी ग्लेशियरों से निकलने वाली नदियों में बाढ़ का कारण बन रहा है। आजकल अमरनाथ में शिवलिंग कुछ ही दिनों में पिघल रहा है। भविष्य में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, नदियाँ बाढ़ का कारण बनेंगी और वे बाढ़ के पानी के साथ समुद्र में मिल जाएँगी। दुनिया के कई बुद्धिजीवी वैश्विक तापमान में वृद्धि को लेकर चिंतित हैं। इन समस्याओं का समाधान केवल पेड़ लगाना है। हम अपने ग्रह को केवल वृक्षारोपण और वन संरक्षण से बचा सकते हैं। पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं और वातावरण में कार्बन की मात्रा को कम करते हैं। इसलिए पेड़ लगाना समस्या का एकमात्र समाधान है।
पेड़ लगाने का कार्यक्रम नियमित रूप से चलाया जाना चाहिए। जब समुद्र का पानी बढ़ता है तो यह आस-पास के शहरों और गांवों में प्रवेश करता है। भागवत के बारहवें स्कंद के चौथे अध्याय में प्रलय का वर्णन है, जिसमें पृथ्वी का द्रव्य गर्म होकर प्रलय का कारण बनता है। यह भी कहा गया है कि सूर्य की किरणें जीव जगत को नष्ट कर देंगी। जीव जगत को कैसे बचाया जाए, यह हमारे शिक्षण संस्थानों में अध्ययन का मुख्य विषय होना चाहिए। जब तक दुनिया विनाश के द्वार पर खड़ी है, हमें लाभ-हानि की संख्या नहीं गिननी चाहिए, बल्कि सामूहिक विकास और सामूहिक सुख-शांति का संदेश फैलाना चाहिए। भारत के बुद्धिजीवी लोगों ने हमेशा दुनिया को शांति और सद्भावना के संदेश भेजे हैं। आज भारत ग्रह की रक्षा के लिए दुनिया का मार्गदर्शक बने।
(लेखक स्तंभकार, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता हैं; विचार निजी हैं)