This state saved the credibility of Congress, as a big face in the South
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार की तो भरपाई नहीं हो सकती, लेकिन पहले कर्नाटक और इसके बाद तेलंगाना की जीत ने कांग्रेस को दक्षिण में एक बड़े चेहरे के रूप में स्थापित कर दिया है।
तेलंगाना में मिले मतों के चलते ही कांग्रेस यह दावा करने की स्थिति में आई है कि सीटों के लिहाज से भले ही वह पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पिछड़ गई हो, लेकिन उसे मिले मतों की संख्या भाजपा से ज्यादा है। लिहाजा वह यह दावा कर रही है कि जनता में उसकी लोकप्रियता भाजपा से ज्यादा है और आगामी लोकसभा में यह नजर भी आएगा। आगामी लोकसभा चुनावों में क्या होगा, यह तो समय बताएगा। लेकिन तेलंगाना में भी भाजपा जिस तेजी से आगे बढ़ रही है, उसे कांग्रेस अनदेखा नहीं कर सकती। इस बार वह आठ विधानसभा सीटों पर कब्जा करने में सफल रही है, जबकि पिछली बार वह केवल एक सीट हासिल कर पाई थी। इस बार आश्चर्यजनक रूप से भाजपा के के.वी.आर. रेड्डी ने कामारेड्डी सीट पर बड़ा उलटफेर किया। उन्होंने बीआरएस प्रमुख के.सी.आर. और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी को हरा दिया। लेकिन दोनों ने ही दो सीटों से चुनाव लड़ा था। इसलिए दूसरी सीटों पर जीतने से उनकी साख बच गई।
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राजनीतिक विश्लेषकों को साल भर पहले तक यह उम्मीद नहीं थी कि कांग्रेस को ऐसी सफलता मिलेगी। इसकी वजह यह थी कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 119 सीटों में से महज 19 सीटें मिली थीं और बीआरएस 88 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी। कांग्रेस को 2018 के विधानसभा चुनावों में महज 28.43 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि बीआरएस को 46.87 प्रतिशत मत मिले थे।