This wild fruit is found only in Uttarakhand, has many medicinal properties and costs more than 500 rupees per kg
उत्तराखंड सहित हिमालय के अन्य क्षेत्रों में जंगली तौर पर पाया जाने वाले फल काफल का सीजन शुरू हो गया है,साल में एक बार पकने वाला यह फल पहाड़ों में काफी लोकप्रिय है।पहाड़ों में होने वाले इस जंगली फल की पहचान आज पूरे देश के साथ ही विदेशों तक भी फैल चुकी है।यह फल न केवल स्वाद से भरा होता है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है।फल 10 साथ कई औषधीय गुणों से भी भरपूर है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का सिर्फ तीन महीने मिलता है ये काम भी करता है. अपने रसीले और खट्टे मीठे स्वाद के साथ इस फल का हर कोई
दीवाना हो जाता है। यह फल सिर्फ गर्मियों के सीजन में अप्रैल से जून तक सिर्फ तीन महीने तक ही मिलता है। जिसका स्वाद यहां आने वाले पर्यटकों को काफी पसंद आता है, जंगलों से तोड़कर सड़क तक लाने का काम यहां रहने वाले लोग करते हैं, जो काफी मुश्किल काम है।
600 रुपए से ज्यादा है कीमत इस बार पिथौरागढ़ की बात करें तो 600 रुपए किलो ये बाजार में बिक रहा है. यानी यह लोगों की पसंदीदा डिश नॉनवेज से भी महंगा है. काफल बेहतरीन स्वाद के साथ उत्पादन घटा तो बड़ी कीमतें इस साल इसकी कीमतों में
काफी तेजी हुई है. क्योंकि जंगलों में इसकी पैदावार इस बार के सीजन में घटी है. लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन और बढ़ते जंगलों की आग इसके उत्पादन को रोक भी रही है, यही वजह है कि इसकी कीमत साल दर साल बढ़ते ही जा रही है।
काफल के पेड़ ओर फल के फायदे-
यह पेड़ अनेक प्राकृतिक औषधीय गुणों से भरपूर है। दाँतून बनाने, व अन्य चिकित्सकीय कार्यां में इसकी छाल का उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त इसके तेल व चूर्ण को भी अनेक औषधियों के रूप में तथा आयुर्वेद में इसके अनेक चिकित्सकीय उपयोग बनाए गये हैं।
यह पेड़ अपने प्राकृतिक ढंग से ही उगता है। माना जाता है कि चिड़ियों व अन्य पशु-पक्षियों के आवागमन व बीजों के संचरण से ही इसकी पौधें तैयार होती है ओर सुरक्षित होने पर एक बड़े वृक्ष का रूप लेती है।
आयुर्वेद में इसे काफल के नाम से जाना जाता है! इसकी छाल में मायरीसीटीन,माय्रीसीट्रिन एवं ग्लायकोसाईड पाया जाता है विभिन्न शोध इसके फलों में एंटी-आक्सीडेंट गुणों के होने की पुष्टी करते हैं जिनसे शरीर में आक्सीडेटिव तनाव कम होता तथा हृदय सहित कैंसर एवं स्ट्रोक के होने की संभावना कम हो जाती है।
इसके फलों में पाए जानेवाले फायटोकेमिकल पोलीफेनोल सूजन कम करने सहित जीवाणु एवं विषाणुरोधी प्रभाव के लिए जाने जाते हैं काफल को भूख की अचूक दवा माना जाता है। मधुमेह के रोगियों के लिए भी इसका सेवन काफी लाभदायक है। यह पेट की कई बीमारियों का निदान करता है और लू लगने से बचाता है।
काफल रसीला फल है लेकिन इसमें रस की मात्रा 40 प्रतिशत ही होती है। इसमें विटामिन सी, खनिज लवण, प्रोटीन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और मैग्निशीयम होता है।
यही नहीं काफल की छाल को उबालकर तैयार द्रव्य में अदरक और दालचीनी मिलाकर उससे अस्थमा, डायरिया, टाइफाइड जैसी बीमारियों का इलाज भी किया जाता है। पेट गैस की समस्या दूर करने के लिये भी इसकी छाल का उपयोग किया जाता है। इसकी छाल का पेस्ट बनाकर घाव पर लगाने से वह जल्दी ठीक होता है।
काफल खाना है तो पहाड़ जाना ही पड़ेगा क्योंकि हमने पहले भी लिखा था कि इसे लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है। इसलिए अभी तो काफल का सीजन नहीं है लेकिन जब होता है तब गाँव आईये, काफल खाईऐ ओर रोंगो से दूर हो जाईऐ।