अमीन खान की रिपोर्ट
जिल्गा/कोरबा (छत्तीसगढ़) : सोमवार को जिल्गा -बरपाली में रमजान महीने के अवसर पर अंजुमन कमेटी एवम अब्दुल जाफर खान एवं सब्बीर अली
ने रोजा इफ्तार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुस्लिम समाज के सभी वर्ग के लोगो एवम प्रबुद्वजनों ने भी भाग लिया।
बताया जाता है कि मुस्लिम समुदाय का पाक महीना रमजान चल रहा है जिसका पहला अशरा पूरा होने के बाद रमजान का दूसरा अशरा शुरू हो गया है इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक पूरे रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है जो पहला दूसरा और तीसरा अशरा कहलाता है एक अशरा दस दिन का होता है इस तरह रमजान के पहले दस दिन मे पहला अशरा फिर दस दिन दूसरा अशरा और दस दिन के बाद तीसरा अशरा होता है वैसे तो रमजान के पूरे तीस दिन मोमिनों के लिए खुदा की तरफ से अजमत, रहमत और बरकतों का महीना है मुस्लिम समुदाय के अनुसार अल्लाह ने इस मुबारक महीने को तीन अशरा मे बांटा हुआ है पहला अशरा खुदा की रहमत वाला है जो दसवें रोजा यानी रविवार को खत्म हो गया इसके बाद रमजान का दूसरा अशरा शुरू हुआ है रमजान का पहला अशरा बेशुमार रहमत वाला माना जाता है रमजान के महीना हर मुसलमान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है जिसमें उन्तीस या तीस दिनों तक रोजे रखे जाते हैं पहला अशरा रहमत का होता है दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों की माफी का होता है और तीसरा अशरा जहन्नुम की आग से खुद को बचाने के लिए होता है रमजान के शुरुआती दस दिन में रोजा-नमाज करने वालो पर अल्लाह की रहमत होती है रमजान के बीच यानी दूसरे अशरे में मुसलमान अपने गुनाहों से पवित्र हो सकते हैं वहीं रमजान के आखिरी यानी तीसरे अशरा में जहन्नुम की आग से खुद को बचा सकते हैं।