देश के ज्यादातर हिस्सों में मॉनसून के देरी और धीमे आगे बढ़ने के कारण खरीफ फसल की बोआई आशा के अनुरूप शुरू नहीं हुई है।छत्तीसगढ़ में जून में भी पारा 45 डिग्री के आस पास है। यानी झुलसा देने वाली गर्मी का लोगों को सामना करना पड़ रहा है इस देरी से किसानों की चिंता भी बढ़ गई है। क्योंकि मानसून में देरी हुई फसलों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ में ज्यादा आशंका बढ़ गई कि कई फसलों की बोआई में देरी हो सकती है। यदि इसकी बुआई के समय में देरी हो गई तो फसल पर प्रतिकूल असर भी पड़ सकता है।कारण यह है कि मानसून इस बार दो सप्ताह लेट है। मौसम विभाग के अनुसार, साइक्लोन के कारण इस बार मानसून आने में देरी हुई है। हालांकि मौसम विभाग का अनुमान है कि राज्य में इस बार अच्छी बारिश होगी। जिस कारण से मानसून के देरी का ज्यादा फर्क कृषि कार्य में नहीं पड़ेगा।
हालांकि अच्छी खबर यह है कि 20 जून के बाद मॉनसून के फिर सक्रिय होने का अनुमान है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार भारत के पश्चिमी तट पर मौसम की सक्रिय स्थितियों के कारण बंगाल की खाड़ी और मध्य भारत में मॉनसून सक्रिय हो सकता है। इससे खरीफ की बोआई को बल मिल सकता है।