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नेशनल लोक अदालत का आयोजन, 19582 प्रकरणों का हुआ निराकरण

by KBC World News
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नेशनल लोक अदालत का आयोजन 19582 प्रकरणों का हुआ निराकरण

कोरबा/छत्तीसगढ़। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर 14 दिसंबर 2024 को सभी मामलों से संबंधित नेशनल लोक अदालत का आयोजनसत्येंद्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के अध्यक्षता में किया गया। उक्त अवसर में प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती गरिमा शर्मा, तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सुनील कुमार नंदे, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोरबा कु0 सीमा चंद्रा, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग एक कोरबा के अतिरिक्त व्यवहार न्यायाधीश, श्रीमती प्रतिक्षा अग्रवाल, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश,सत्यानंद प्रसाद, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा, कु0 डिम्पल, व्यवहार न्यायाधीश वर्ग दो मंजीत जांगडे, श्रीमती रिचा यादव,गणेश कुलदीप अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ, कोरबा, दीप प्रज्जवलन कार्यक्रम में उपस्थित थे। नेशनल लोक अदालत में न्यायालय में कुल 25341 प्रकरण रखे गये थे, जिसमें न्यायालयों में लंबित प्रकरण 4889 एवं प्री-लिटिगेशन के 20452 प्रकरण थे। जिसमें राजस्व मामलों के प्रकरण, प्री-लिटिगेशन प्रकरण तथा न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के कुल प्रकरणों सहित 19582 प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत मंे समझौते के आधार पर हुआ।

तालुका स्तर में भी किया गया लोक अदालत का आयोजन राजीनामा आधार पर किया गया प्रकरण का निराकरण
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली व छ0ग0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशाानुसार एवं सत्येन्द्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के मार्गदर्शन में 14 दिसंबर  व्यवहार न्यायालय कटघोरा में नेशलन लोक अदालत का आयोजन किया गया। व्यवहार न्यायालय कटघोरा में कुल 07 खण्डपीड क्रियाशील रहा। उक्त खण्डपीठों में विभिन्न राजीनामा योग्य दांडिक एवं सिविल प्रकृति के प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत मंे समझौते के आधार पर हुआ।

//लोक अदालत का सार ना जीत ना हार//

सक्सेस स्टोरीः-

लोक अदालत ने माता-पुत्र विवाद को किया समाप्त, वृद्ध महिला को मिला जीने का सहारा

प्रत्येक व्यक्ति को जीवन जीने तथा जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसों की आवश्यकता होती है, ऐसे में वृद्ध जन जो शारीरिक रूप से कमजोर हो चुके है, वे मजबूरन बुढापे में अपने बच्चों पर निर्भर करने लगते है। भरण-पोषण हेतु गुजारा भत्ता का भुगतान न केवल कानूनी अधिकार है, बल्कि बच्चों/परिजनों पर लगाया गया एक सामाजिक और नैतिक दायित्व भी है। ऐसे ही घटना जिला न्यायालय कोरबा के माननीय न्यायालय न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय कोरबा में विचाराधीन था, उक्त प्ररकण में आवेदिका जो अनावेदक की वृद्ध माता है,के द्वारा मान. न्यायालय में दिए आवेदन के अनुसार सन् 2018 में अपने पति के मृत्यु के पश्चात एस.ई.सी.एल. विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति हेतु आवेदिका ने अपने अनावेदक पुत्र को मासिक वेतन के 50 प्रतिशत भरण-पोषण हेतु प्रदाय किए जाने के शर्त पर नामित किया तथा अनावेदक को नौकरी मिल जाने पर आवेदिका तथा परिवार के अन्य सदस्य साथ में रहने लगे। कुछ समय पश्चात नौकरी मिल जाने के बाद अनावेदक अपने वादे के मुकर गया तथा अपनी पत्नी तथा बच्चों के साथ पृथक से शासकीय आवास पर रहने चला गया तथा अपनी वृद्ध माता एवं अन्य सदस्यों को भरण-पोषण प्रदान करना बंद कर दिया। इसके चलते आवेदिका को उचित भरण-पोषण नहीं देने तथा ईलाज हेतु मेडिकल कार्ड में ईलाज हेतु सहमति नहीं देना जैसे प्रताडना देकर मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडित करने लगा, तंग आकर आवेदिका के द्वारा मान. न्यायालय के समक्ष अंतर्गत धारा 144 बी.एन.एस.एस. वास्त भरण-पोषण हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदक पुत्र ने हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में संयुक्त रूप से समझौता कर आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें हाइब्रीड नेशनल लोक अदालत का लाभ लेते हुए आवेदकगण ने 30000/- रूपये (तीस हजार रूपये) बिना किसी डर-दबाव के प्रत्येक माह भरण-पोषण प्रदाय किए जाने हेतु राजीनामा किया जिसे अनावेदक आवेदिका के बैंक खाते में प्रत्येक माह के 10 तारीख तक सीधे जमा किए जाने अथवा भुगतान किए जाने का निर्देश दिया गया इस प्रकार बेसहारा परिवारजनों को जीवन जीने का एक सहारा नेशनल लोक अदालत ने प्रदान किया।

नेशनल लोक अदालत में09 वर्षों से लंबित जमीन विवाद का किया गया निराकरण

वर्ष के अंतिम नेशनल लोक अदालत में जमीन विवाद से संबंधित ऐसा प्रकरण जिसमें वादी एवं प्रतिवादी के मध्य जिले के पृथक-पृथक ग्रामों में विभिन्न भूमियों के आधिपत्य के संबंध में विवाद होने से सन् 2016 से आज तक 09 वर्षांे से लगातार विवादित होने से लंबित था। आपसी विवाद बार बार बढ जाने से उक्त जमीन के संबंध में कितनी भूमि पर कितना हक किसका होगा सुलझ नहीं पा रहा था, ऐसे में मान0 खंडपीठ के समझाईश तथा प्रयासों से आज दिनांक 14 दिसंबर 2024 को आज नेशनल लोक अदालत में बिना किसी डर दबाव के आपसी सहमति से राजीनामा आधार पर निराकरण किया गया।

बेसहारा आवेदिका को मिला न्यायनेशनल लोक अदालत बना जल्द से जल्द न्याय पाने का सहारा

न्याय आपके द्वार घोष वाक्य को चरितार्थ करते हुए नेशनल लोक अदालत दिनांक 14.12.2024 में एक ऐसे मामले का भी निराकरण हुआ, जिसमें एक लौता कमाने वाले मृतक के मृत्यु के बाद बेसहारा पत्नी, बेसहारा नाबालिग बच्चे तथा वृद्ध माता पिछले दो वर्षाें से लंबित प्रकरण के चलते परेशान थे। घटना दिनांक 09.08.2024 को मृतक पुलिस कर्मी केशव कुमार नेताम अपने सहकर्मी के साथ अपने मोटर साईकल से कोरकोमा से पुलिस लाईन कोरबा आ रहे थे तभी स्वीफ्ट वाहन लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हुए मृतक को अपने चपेट में ले लिया, उक्त दुर्घटना के कारण लंबे उपचार के बाद पुलिस कर्मी केशव की मौत हो गई। मृतक अपने परिवार में एक मात्र कमाने वाला था, ऐसे में बेसहारा आवेदिका, नाबालिग बच्चा तथा वृद्ध माता के बुढापे का सहारा नहीं रहा और वे बेसहारा हो गए। मामले में आवेदकगण ने अंतर्गत धारा 166 मोटर यान अधिनियम 1988 वास्ते क्षतिपूर्ति की राशि हेतु मान. न्यायालय के समक्ष अनुतोष हेतु आवेदन प्रस्तुत किया।दिनांक 14.12.2024 को नेशनल लोक अदालत में मामला आने से खंडपीठ क्र 04 में माननीय श्री सुनील कुमार नंदे, अतिरिक्त मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरण कोरबा/तृतीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोरबा के समक्ष आवेदकगण व अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा संयुक्त रूप से समझौता कर आवेदन आवेदन प्रस्तुत किया। इसमें हाइब्रीड नेशनल लोक अदालत का लाभ लेते हुए बेसहारा आवेदिका तथा अन्य आवेदकगणों को वृद्ध दंपति को 6500000/- पैंसठ लाख रूपए मात्र का बिना डर-दबाव के राजीनामा कराया गया, जिसे अनावेदक बीमा कंपनी को 30 दिवस के भीतर अदा करने का निर्देश दिया गया। इस तरह नेशनल लोक अदालत ने आवेदक दंपति को जीवन जीने का एक सहारा प्रदान करने में अपना योगदान दिया।

 

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