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रिपोर्ट- रामकुमार नायक
महासमुंद. देश सहित पूरे प्रदेश में होली की खुमारी चढ़ने लगी है. लोग अपने-अपने तरीकों से रंगों का त्योहार मनाते हैं. छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के मुड़ेना गांव में एक मान्यता और बरसों पुराने रिवाज के कारण होलिका नहीं जलाई जाती है. गांव में रंग-गुलाल और होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है पर होलिका दहन नहीं किया जाता. ग्रामीणों का कहना है कि, उनके दादा-परदादा के जमाने से लगभग 200 साल से गांव में होलिका नहीं जलाई जाती है. त्योहार में गुलाल से सूखी और गीली होली खेली जाती है. नगाड़े बजाए जाते हैं. होलिका दहन नहीं किया जाता.
गांव में फैल गई थी महामारी
लोगों का मानना है कि कई साल पहले यहां महामारी फैली थी. जिसके बाद उस वक्त के ग्रामीणों ने होलिका जलाना बंद करने का निर्णय लिया. जिसके बाद यहां कभी महामारी नहीं फैली. इस परंपरा को लेकर आज भी ग्रामीण चल रहे हैं. परंपरा का वहन करते हुए होलिका दहन नहीं करते. गांव की इस परंपरा की चर्चा हर साल होली में जरूर होती है.
क्या कहते हैं कुंवारा गांव के लोग
महासमुंद जिले के इस मुड़ेना गांव को कुंवारा गांव भी कहा जाता है. कुंवारा गांव में ना ही मड़ई मेला होता है ना ही हफ्ता बाजार लगता है. यहां के लोग अपनी जरूरत आसपास के गांव के बाजारों से पूरी करते हैं. कुंवारा नाम रखने के पीछे भी बुजुर्ग किसी कहानी का जिक्र करते हैं.
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Tags: Chhattisgarh news, Holi festival, Holi news, Holika Dahan
FIRST PUBLISHED : March 06, 2023, 11:03 IST
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