How to grow urad in summer and earn profit
जबकि गर्मी के मौसम में उड़द की पादप वृद्धि अपेक्षाकृतकम होती है। ग्रीष्मकाल में उड़द के लिये 20 किलोग्राम प्रति हेक्टर बीज पर्याप्त होता है। कतारों में 30 से.मी. अंतर और पौधे से पौधे की दूरी 7 से.मी. रखें. बीज की गहराई 4 से.मी. रखें।
उन्नत किस्म का चुनाव
विभिन्न राज्यों के लिये अनुमोदित की गई जायद मौसम (गर्मियों में) बोई जाने वाली उड़द की उन्नत जातियाँ आहार पोषण 43 किलो यूरिया, 250 किलो सिंगल सुपर फास्फेट तथा 66 किलो पोटाश /हे. दिया जाये. उड़द की ग्रंथिकायुक्त जड़ों में यौगिकीकरण की प्रक्रिया अच्छी तरह होती है जिससे उसकी नाइट्रोजन आवश्यकता लगभग पूरी हो जाती है।अधिकांश क्षेत्रों में जहां उड़द की खेती की जाती है, वहाँ मिट्टी से संबंधित जीवाणुओं की पर्याप्त संख्या होती है जिससे इन क्षेत्रों में बीज निवेशन की आवश्यकता नहीं पड़ती है. नयी तोड़ी गई भूमि में ऐसे क्षेत्रों में जहां इसकी खेती पिछले कई वर्षों में नहीं गई है बीज निवेशनअवश्य करना चाहिए।
निंदाई-गुड़ाई
खरपतवार फसलों को अपेक्षाकृत अनुमान से कहीं अधिक क्षति पहुंचाते हैं अतः विपुल उत्पादन के लिये अपनाये महंगे कृषि प्रसाधन, खरपतवारों की वजह से व्यर्थ न जाने पायें, इसके लिये समय-समय पर निंदाई-गुड़ाई कोल्पा या डोरा चलाकर करें। (बुआई के 30 दिन बाद) खरपतवार नियंत्रण से दाने की उपज पर्याप्त बढ़ जाती है।
सिंचाई
बसंतकालीन और ग्रीष्मकालीन उड़द की फसल पूरी तरह सिंचाई पर निर्भर करती है। बसंत ऋतु में 10 से 15 दिन के अंतर पर फसल की सिंचाई करना आवश्यक होता है। पहली सिंचाई बुआई के 20 दिन बाद करनी चाहिए। इस मौसम में उड़द में मूंग की अपेक्षा अधिक जल्दी सिंचाई करनी पड़ती है। पैदावार जायद में बोई गई उड़द की शुद्ध बीज वाली फसल की पैदावार 12 से 15 क्विंटल प्रति हे. तक हो सकती है।