छत्तीसगढ़ वन सेवा भर्ती प्रक्रिया में फिजिकल टेस्ट में फेल होने वालों को दूसरा मौका नहीं दिया जाएगा। सरकार के इस जवाब के बाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है आपको बता दें कि भर्ती प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाते हुए 8 अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में अभ्यर्थियों ने कहा था कि फेल अभ्यर्थियों को मौका देकर सरकार प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों को उनके हक से वंचित कर रही है। यह नियम और प्रावधानों के खिलाफ है। शुरुआती सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फिलहाल वन सेवा भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।लेकिन अब याचिका खारिज कर दी गई है।हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब रेंजर के 49 खाली पदों को प्रतीक्षा सूची के 77 अभ्यर्थियों से भरा जाएगा।
कांग्रेस सरकार ने निकला था विज्ञापन
हाई कोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक, कांग्रेस सरकार ने साल 2020 में वन विभाग में भर्ती के लिए विज्ञापन प्रकाशित किए थे। इसके विज्ञापन के मुताबिक, सीजी पीएससी द्वारा साल 2021 में वन सेवा भर्ती की परीक्षा को आयोजित कराया गया था।फिर इशके बाद 3 जून 2023 को इस परीक्षा के परिणामों को सीजीइपीएससी द्वारा जारी कर मुख्य एवं अनुपूरक सूची को जारी किया गया। इसके बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक रायपुर कार्यालय में चयनित अभ्यर्थियों के दस्तवाजे परीक्षण करवाने के बाद 12 सितंबर 2023 को फिजिकल टेस्ट परीक्षा करवाई गई थी।इसके बाद से गड़बड़ी शुरू हो गई। इस गड़बड़ी के खिलाफ बस्तर के योगेश बघेल, मधुसूदन मौर्या, घनश्याम समेत अन्य छह लोगों ने याचिका दर्ज हाई कोर्ट में लगाई थी।
असफल हुए उन्हें दूसरा मौका दिया गया!
याचिकाकर्ताओं ने याचिका में कहा कि 12 सितंबर को फिजिकल टेस्ट हुआ था. इसमें 4 घंटे के अंदर 26 किलोमीटर पैदल चलना था. इसमें 20 से अधिक अभ्यर्थी फेल हो गए। इसके बाद कहा गया कि उन अभ्यर्थियों की जगह वेटिंग लिस्ट में शामिल अभ्यर्थियों को फिजिकल टेस्ट का मौका दिया जाए। याचिका में कहा गया कि सप्लीमेंट्री लिस्ट में दर्ज अभ्यर्थियों को मौका देने के बजाय फिजिकल टेस्ट में फेल हुए अभ्यर्थियों को दोबारा मौका देने का फैसला लिया गया है। इसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा कि इस मामले में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर शिकायत की गई, लेकिन किसी ने इस शिकायत पर ध्यान नहीं दिया।